
-डॉ. दीनानाथ शरण
सिक्खों के इतिहास में पटना साहिब का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पटना साहिब में दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी का जन्म हुआ; यहीं उनके बचपन के छः सात वर्ष व्यतीत हुए। पटना साहिब को श्री गुरु नानक देव जी का चरण स्पर्श भी प्राप्त है। श्री गुरु तेग बहादर साहिब ने भी मई, १६६६ में यहां की मिट्टी को पावन किया । यही कारण है कि आज भी सारे विश्व के सिक्खों के पटना साहिब का स्थान बड़ा ही सम्माननीय है। विशेष रूप से श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी के जन्म-दिवस पर लाखों सिक्ख–श्रद्धालु ‘पटना साहिब’ आकर अपनी श्रद्धा निवेदित करते हैं।
सूबे बिहार की राजधानी ‘पटना’ भारत के अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व के शहरों में रहा है । यही ‘पटना’ अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य, सम्राट अशोक महान व्याकरणाचार्य वररुचि, योगशास्त्र के महर्षि पतंजलि और प्रख्यात गणितज्ञ आर्यभट्ट जैसी महान विभूतियों की जन्म-भूमि और कर्म-भूमि रही है, प्रेरणा- भूमि रही है।
इतिहास की उथल-पुथल के बीच ‘पटना’ के नाम बदलते रहे– कुसुमपुत्र, पाटलिपुत्र, पाटल, अजीमाबाद, पटना। सिक्खों के महान गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी की जन्म भूमि होने के कारण आज इसका नाम ‘पटना साहिब’ है। रेलवे स्टेशन का नाम भी ‘पटना साहिब’ रखा गया है।
आज ‘पटना’ शहर चाहे बदहालियों के दौर से गुजर रहा हो लेकिन ‘पटना’ का अतीत बहुत ही गौरवशाली रहा है। ग्रीक राजदूत मेगास्थनीज यहां की भव्य इमारत को देखकर हैरत में पड़ गया था। चीनी-यात्री ह्यूनसांग और फाहियान ने भी शहर की भूरि-भूरि प्रशंसा की है ।
श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी ने सिक्खों के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। सिक्ख अब वीर योद्धा के रूप में उभर कर सामने आये। लोक-प्रसिद्ध है कि श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी कलम के ही नहीं, तेग के भी धनी थे। उन्होंने सिक्खों को जुझारू बनाया। वे तेग की शक्ति में गहरी आस्था रखते थे ।
अत्यंत स्वाभाविक है कि जिस पटना साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी ने जन्म लेकर सारी दुनिया में अपनी प्रकाश – ज्योति फैलायी उस पटना साहिब को हम सब श्रद्धा के साथ नमन करते हैं।