सिक्ख मिसल काल की अद्वितीय धरोहर : बुंगा रामगढ़िया
-डॉ. कशमीर सिंघ ‘नूर’ ‘बुंगा’ शब्द का मूल स्रोत फारसी के ‘बुंगाह’ शब्द को माना जाता है। इसका भावार्थ होता है– निवास-स्थान या रहने का स्थान । आरंभ में श्री हरिमंदर साहिब श्री अमृतसर के इर्द-गिर्द लगभग ७० बुंगे बने हुए थे। ये बुंगे सिक्ख-मिसलों (जत्थेबंदियों) के प्रमुखों ने बनवाने शुरू किए थे। श्री हरिमंदर […]
भाई सुबेग सिंघ – भाई शाहबाज सिंघ
– डॉ. मनजीत कौर शहीदी परम्परा की एक और इबारत लिखने वाले महान शहीद, पिता-पुत्र भाई सुबेग सिंघ – भाई शाहबाज सिंघ थे, जिन्हें चरखड़ी पर चढ़ा कर शहीद कर दिया गया। उन्होंने जालिमों की धौंस स्वीकार नहीं की, अकाल-अकाल का उद्घोष करते हुए, चढ़दी कला में रहकर, असह कष्ट सहन करते हुए शहादत प्राप्त […]
चढ़दी कला का प्रतीक : होला महल्ला
-डॉ. कुलदीप सिंघ हउरा* किसी विद्वान का कथन है, “जो कौम मरना जानती है, उसको जीने का लालच नहीं होता । उस कौम को विश्वास होता है। : मरणु मुसा सूरिआ हकु है जो होइ मरनि परवाणो ॥ ( पन्ना ५७९) यह श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी द्वारा बताई हुई मरने की युक्ति ही थी, […]
अकाली फूला सिंघ जी शहीद
– स. गुरदीप सिंघ* अकाली फूला सिंघ जी महाराजा रणजीत सिंघ के सिरमौर जरनैलों में से थे। आपने सिक्ख राज्य की प्रफुल्लता के लिए तन, मन, धन एवं निष्काम भावना से सेवा की। आपने पंथक प्यार के अधीन सिक्ख राज्य की रक्षा के लिए अपना आप कुर्बान कर दिया । अकाली फूला सिंघ जी का […]
स. बघेल सिंघ करोड़ासिंघीया
-डॉ चमकौर सिंघ * सरदार बघेल सिंघ करोड़ासिंघीया मिसल के शक्तिशाली, फुर्तीले एवं सिरमौर सरदार हुए हैं, जिन्होंने सिक्खों की राजसी ताकत को गंग – दुआब (यू. पी.) तक बढ़ाया तथा दिल्ली के तख़्त को हिलाकर रख दिया। ज़िला श्री अमृतसर के गांव झबाल के ये शूरवीर सरदार करोड़ा सिंघ के बाद १७६१ ई में […]
होली कीनी संत सेव
– डॉ. सत्येंद्रपाल सिंघ* होली का त्योहार पुरातन काल से ही भारत में उत्सव की भांति मनाये जाने की परंपरा है। पौराणिक कथा है कि पिता हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र भक्त प्रहलाद को मार देने की आज्ञा दी थी जिसके लिए भक्त प्रहलाद की बुआ उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठी थी । […]
गुरबाणी विचार : चेति गोविंदु अराधीऐ
चेति गोविंदु अराधीऐ होवै अनंदु घणा ॥ संत जना मिलि पाईऐ रसना नामु भणा ॥ जिनि पाइआ प्रभु आपणा आए तिसहि गणा ॥ इकु खितिसु बिनु जीवणा बिरथा जनमु जणा ॥ जलि थलि महीअलि पूरिआ रविआ विचि वणा ॥ प्रभु चिति न आवई कितड़ा दुखु गणा ॥ सो प्रभु जिनी राविआ सो प्रभू तिंना भागु […]
माह दिवस मूरत भले जिस कउ नदरि करे |
नानकशाही नववर्ष के शुभारंभ पर विशेष – डॉ. सत्येन्द्र पाल सिंघ* श्री गुरु नानक साहिब का सिक्ख उस एक परमात्मा में विश्वास रखता है जो सम्पूर्ण सृष्टि का रचयिता, पालक और सहायक है : बेद पुराण कथे सुणे हारे मुनी अनेका ॥ अठसठि तीरथ बहु घणा भ्रमि थाके भेखा ॥ साचो साहिबु निरमलो मनि मानै […]