हउमै दीरघ रोगु है दारू भी इसु माहि।।
गुरबाणी के शब्दों की व्याख्या करें तो गुरु साहिबान ने अभिमान (अहं, घमंड) को गंभीर रोग बताया है। हमारे भारतीय सभ्याचार में दार्शनिकों और विद्वानों द्वारा भी मानव के अंदर पाँच विकार बताए गए हैं, जैसे कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। उन्होंने भी इन पाँच विकारों में से अहंकार (अभिमान) को सबसे बड़ा दर्जा […]
प्रेम और ममता की घनी छाँव : माता खीवी जी
– डॉ. राजेंद्र सिंघ साहिल किसी समाज का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उस समाज में, उस समाज के क्रिया कलाप में स्त्रियों की क्या भूमिका है। गुरमति विचारधारा को प्रफुल्लित एवं स्थापित करने में अनेक कर्मठ एवं समर्पित स्त्रियों का योगदान रहा है। गुरु साहिबान, अद्वितीय सिक्खों एवं शहीद सिंघों के […]
एक सैलानी की दृष्टि में श्री अनंदपुर साहिब
– डॉ. राजेंद्र सिंघ साहिल धर्मों के संदर्भ में अक्सर यह देखने में आया है कि कुछ स्थान ऐसे होते हैं जो अपनी विशेष और महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण उस धर्म-विशेष के केंद्रीय स्थान के रूप में विकसित हो जाते हैं। ये स्थान उस धर्म के महापुरुषों, पैगंबरों, गुरु साहिबान, भक्त साहिबान आदि के साधन […]
गुरबाणी में दर्ज सृष्टि-रचना का विधान
-डॉ. रछपाल सिंघ गुरबाणी सर्वकालीन सदीवी सच है । यह ‘धुर की बाणी’ है अथवा अकाल पुरख जी का ‘अगंमी हुक्म’ है। गुरबाणी में मानव जीवन से संबंधित सभी प्रकार की सामग्री उपलब्ध है। गुरबाणी आधुनिक वैज्ञानिक युग अथवा खोजों का आधार है। इसमें बहुत-सी सामग्री वैज्ञानिक पक्ष से संबंधित है। वैज्ञानिक खोज इस समय […]
गुरमति दृष्टिकोण के अनुसार जीवन – आदर्श की महत्ता
– डॉ. शमशेर सिंघ सिक्ख गुरुओं द्वारा दर्शाए जीवन – मार्ग को गुरमति विचारधारा के अनुसार ‘निर्मल पंथ’, ‘खालसा पंथ के नाम दिये गए हैं। इन शब्दों का आंतरिक भाव एक ही ख़्याल का सूचक है जो गुरु साहिबान ने संसार के कल्याण के लिए दिया है। महापुरुष का जीवन एवं कर्त्तव्य एक ऐसी नदी […]