मानव जीवन अपने आप में एक अमूल्य उपहार हैं । जीवन सर्वोत्तम उत्कृष्टता के साथ जीने से सार्थक व सफल होता है । सब में परमात्मा के स्वरूप के दर्शन कर, मानवता की रक्षा, मानव मूल्यों हेतु हम अपने को सदा आगे रखें। सिक्ख गुरु साहिबान ने अपने व्यक्तिगत सुख व आकांक्षाओं को छोड़कर दूसरों के कल्याण हेतु संघर्ष किया, ज़रूरत पड़ी तो बलिदान देने में भी पीछे नहीं हटे, तभी वे समाज में सर्वोत्तम आदर्श व पूज्य व्यक्तित्व बन गए ।
माया का लोभ, भ्रांतियों और रूढ़ियों में जकड़े रहना, रोग-शोक का कारण हैं । हम आत्म सुधार कर अपनी मलीनताओं को दूर कर परिष्कृत व उदार सेवाभावी बनें। आत्म सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है। जो भी अपूर्णताएं हैं, उन्हें अध्यात्म का सहारा लेकर दूर करने का प्रयास करें। जीवन में कोई ऐसा कार्य न करें, जिससे सिर झुकाना पड़े; कहीं अपमान सहना पड़े या कोई हमारी आलोचना करे। हम सही नीति पर चलते हुए श्रेष्ठ कार्य करें और समाज को ऊंचा उठाने में भरपूर योगदान दें।