मानस जन्म अनमोल
– डॉ. इंदरजीत सिंघ गोगोआणी* कबीर मानस जनमु दुलंभु है होइ न बार बार ॥ जिउ बन फल पाके भुइ गिरहि बहुरि न लागहि डार ॥ (पन्ना १३६६ ) मनुष्य का जन्म बहुत कीमती है, परंतु कीमत का एहसास ज्ञान के बिना नहीं हो सकता । सतिगुरु ने बार-बार मानवता को सचेत किया […]